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Thursday, November 19, 2020

ग़ज़ल

rizw4nkh4n
*ख़ुलूस-ए-दिल = purity of heart
*एहतराम = आदर, सम्मान
*मिज़ाजपुरसी = हाल-चाल पूछना
*बाम = घर में सबसे ऊपर का कोठा और छत
*इक़राम = दान
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
ख़ुलूस-ए-दिल से जिनका एहतराम किया
उन्होंने मुस्करा कर मिरा जीना हराम किया

कोई हाल लो जरा उनकी मिज़ाजपुरसी का
महफ़िल में बुलाया और ढंग से बदनाम किया

ललकारा था हमें की कुछ बन कर दिखाएं
तब से न थक कर बैठे न कभी आराम किया

दूर से भी देखो तो साफ दिखता है अब
हमने ऊॅंचा खुद का इतना बाम किया

होता नहीं आज उनको अपने ऑंखों पे यकीं
हमने ख़ुलूस-ए-दिल से इतना इक़राम किया

बदला है हमने ऐसे अब जीने का सलीका
दोस्त तो दोस्त, दुश्मनों ने भी सलाम किया
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#rizw4nkh4n



ग़ज़ल

rizw4nkh4n *ख़ुलूस-ए-दिल = purity of heart *एहतराम = आदर, सम्मान *मिज़ाजपुरसी = हाल-चाल पूछना *बाम = घर में सबसे ऊपर का कोठा और छत *इक़राम =...